इराक स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए रॉकेट हमले के बाद अमेरिका खुलकर मैदान में आ गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा है कि यूएस आर्मी ने ईरान के 52 ठिकानों की पहचान कर ली है और अगर ईरान किसी भी अमेरिकी संपत्ति या नागरिक पर हमला करता है तो इन पर बहुत तेजी से और बहुत विध्वंसक हमला करेगा.
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दरअसल, अमेरिकी हमले में इराक में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद शनिवार लगभग आधी रात को बगदाद में अमेरिकी दूतावास और बलाद एयर बेस पर ईरान समर्थक मिलिशिया रॉकेट से ताबड़तोड़ हमले किए गए हैं. इसके बाद अमेरिका भड़क गया है.
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फ्लोरिडा में छुट्टियां गुजार रहे ट्रंप ने भी ईरान को धमकी भरा संदेश दिया. ट्रंप ने कहा कि ईरान अमेरिकी ठिकानों पर बदले के तौर पर हमले की बात कर रहा है. ट्रंप ने कहा कि कासिम सुलेमानी को मारकर अमेरिका ने दुनिया को 'आतंकी नेता' से मुक्ति दिलाई जो कि अमेरिकी समेत कई लोगों को मार चुका था. इसमें कई ईरानी भी शामिल थे.
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52 ईरानी ठिकानों की पहचान:
ट्रंप ने कहा कि हमने 52 ईरानी ठिकानों की पहचान की है. इनमें से कई ठिकाने बेहद अहम हैं. इन ठिकानों और ईरान को भी बहुत तेजी से और बेहद सख्ती के साथ निशाना बनाया जाएगा, अमेरिका अब किसी तरह की धमकी नहीं चाहता है.
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'52' में छिपा है अमेरिका का पुराना दर्द:
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के 52 ठिकानों वाले बयान में अमेरिका का एक बहुत पुराना दर्द छिपा हुआ है. ट्रंप ने कहा कि हम 52 ठिकानों पर निशाना ईरान द्वारा बंधक बनाए गए 52 अमेरिकी बंदियों की याद में कर रहे हैं.
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52 अमेरिकी बंदियों की याद:
यह पूरी दुनिया को पता है कि ईरान और अमेरिका की दुश्मनी बहुत पुरानी है. ईरानी क्रांति के बाद 1979 में तेहरान में ईरान ने अमरीकी दूतावास को अपने कब्जे में ले लिया था और 52 अमरीकी नागरिकों को बंधक बना लिया था.
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444 दिनों बाद किया रिहा:
उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर से ईरान ने मांग की थी कि शाह राजा पहलवी को वापस ईरान भेजा जाए, शाह उन दिनों न्यूयॉर्क में थे और अपना इलाज करा रहे थे. शाह को अमेरिका ने ही तख्तापलट कर ईरान की गद्दी पर बिठाया था.
इसके बाद बंधकों को 444 दिन बाद तब तक रिहा किया गया जब रोनल्ड रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए.
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ईरान द्वारा अमेरिका को दिया गया वो दर्द आज भी याद है, और यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हीं 52 अमेरिकी लोगों की याद में ईरान के 52 ठिकानों का जिक्र करते हुए चेतावनी दे डाली है. डोनाल्ड ट्रंप का ये सांकेतिक आक्रामक रवैया चर्चा का विषय बन गया है.
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52 ठिकाने 52 अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व:
अपनी धमकी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रंप मने जोर देकर कहा कि 52 लक्ष्य उन 52 अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें 1979 में ईरान में एक साल तक बंदी बनाकर रखा गया था.
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डोनाल्ड ट्रंप ने आक्रामक तरीके से कहा कि मेरे नेतृत्व में आतंकवादियों के प्रति अमेरिका की नीति स्पष्ट है, जिन्होंने भी किसी अमेरिकी को नुकसान पहुंचाया है या ऐसा करने की सोच रहे हैं. हम आपको तलाशेंगे करेंगे और आपका खात्मा करेंगे. हम हमेशा अपने राजनयिकों और अपने लोगों की रक्षा करेंगे.
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ईरान भी खुलकर मैदान में:
इधर कासिम सुलेमानी की हत्या के जवाब में ईरान ने जामकरन मस्जिद के ऊपर लाल झंडा फहराकर युद्ध के लिए अलर्ट किया है. ईरान ने मस्जिद के ऊपर लाल झंडा फहराकर संभावित युद्ध के लिए चेताया है.
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बताया जा रहा है कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब ईरान ने इस तरह से मस्जिद पर लाल झंडा फहराया है. ऐसे हालात में लाल झंडा फहराने का मतलब होता है कि युद्ध के लिए तैयार रहें या युद्ध शुरू हो चुका है.
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कोम स्थित जामकरन मस्जिद के डोम पर आमतौर पर धार्मिक झंडे फहराए जाते हैं. ऐसे में धार्मिक झंडे को हटाकर लाल झंडा फहराने का मतलब युद्ध के ऐलान के रूप में लिया जा रहा है, क्योंकि लाल झंडे का मतलब दुख जताना नहीं होता है.
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दुनिया ने की शांति की अपील:
वहीं जंग के माहौल के बीच यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने अमन और शांति बहाली की अपील की है. यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बॉरेल ने शनिवार को तनाव घटाने पर जोर दिया और दोनों देशों से शांति बहाली की अपील की.
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ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ से ब्रसेल्स में मुलाकात के बाद जोसेफ बॉरेल ने ट्वीट किया, ताजा घटनाक्रम पर ईरानी विदेश मंत्री जे. जरीफ से बात की. आगे मामला गंभीर न हो, इसलिए बातचीत में तनाव घटाने पर जोर दिया गया.
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चीन के विदेशमंत्री वांग यी ने अमेरिका को सैन्य शक्ति के गलत इस्तेमाल पर नियंत्रण रखने की सलाह दी है. वांग यी ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से फोन पर बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'सैन्य दुस्साहस' किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकता.
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सीरिया के विदेश मंत्रालय ने वक्तव्य जारी कर इराक और ईरान से संवेदना जताई और अमेरिका की निंदा की. वक्तव्य में कहा गया है कि इराक की अस्थिरता का कारण अमेरिका है. इसके साथ साथ कतर और लेबनान के विदेश मंत्रालय ने भी वक्तव्य जारी कर विभिन्न पक्षों से संयम से काम लेने की अपील की, ताकि मध्य-पूर्व क्षेत्र की स्थिति न बिगड़े.
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